Prajanan प्रजनन -हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड के लिए पंचकर्म

Dr. Mansi Kirpekar

Dr. Mansi Kirpekar,

Ayurveda Consultant

Professional Qualifications:

Holds a degree of Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (B.A.M.S) from Aryangla College, the oldest Ayurvedic medical institution in India, located in Satara, Maharashtra.

Earned a Master of Arts in Sanskrit from Tilak Vidyapeeth in Poona.

Certified in Panchakarma Chikitsa by AYUSH.

Specializes in Panchabhautik Chikitsa, a distinct branch of Ayurveda.

Holds a certificate in Yoga from Yog Vidya Niketan, Santacruz.

Actively involved in the Panchabhautik Ayurveda Forum, participating as a delegate, organizing member, and speaker at numerous national and international conferences.

पिछले ब्लॉग मे हमने उपवास का मतलब जाना –

उप याने – अंदर , वास याने – रहना ……..

उपवास याने अपने अंदर वास  करो |

अपने अंदर की शक्ती /आत्मा उस पर चिंतन करो याने आत्मचिंतन करो |

तो उपवास मन की शांती /आध्यात्मिक उन्नति के लिए होते है|

इसलिए उपवास के दिन हो सके उतना आत्मचिंतन /meditation करना चाहिए |

आत्मचिंतन के साथ शरीरशांती के लिए भी उपवास करना चाहिए | शरीर शांती याने जो अपनी पचन क्रिया निरन्तर काम कर रही है उसे विश्रांती देना |

आयुर्वेद मे इसे लंघन कहते है | मतलब पूरा दिन कुछ नही खाना |

लंघन करने से पचनशक्ती को रोज के काम से विश्रांती मिलती है और वह शरीरशुद्धी का काम करती है | जैसे हमे हफ्ते मे एक दिन छुट्टी मिल गई की हम हफ्ते के सारे बचे-कुचे काम ,साफसफाई करते है |

किंतु बहुतांश लोग लंघन नही कर पाते । आपको लंघन करने नही जमता तो उपवास के दिन कम और हल्का अन्न खाना चाहिए|

पर हम तो “ एकादशी दुप्पट खाशी ” मतलब उपवास के दिन विविध उपवास के पदार्थ बनाकर बहुत ज्यादा खाते है और पचन शक्ती को आराम की जगह दुगना काम देते है | इसलिए उपवास करने पर निरोगी रहने की जगह हमे एसिडिटी ,सिरदर्द ,पेटदर्द जैसी सब पित्त की बीमारीया होने लगती है |

तो जानते है आज का आरोग्य मंत्र – ०४

“उपवास कैसे करना चाहिए ?”

उपवास के दिन पित्त बढ़ाने वाली चीजे नही खानी चाहिए पर आप कहोगे की उपवास के दिन तो खिचड़ी खाने को कहा है |

नही…. उपवास के दिन खिचडी नही बल्की साबुदाना खाने को कहा है |

साबुदाने का रंग सफेद होता है | सफेद रंग पित्तशामक होता है |

खिचड़ी मे जो मूंगफली और मिर्च  होती है वो पित्त बढ़ाते है |

दिन भर खिचड़ी खाने से पित्त ज्यादा बढ़ जाता है , श्याम तक या अगले दिन तक पित्त की सारी बीमारीया होने लगती है जैसे सिरदर्द ,पेटदर्द ,एसिडिटी|

इसलिए उपवास के दिन हल्का और पित्त कम करने वाला अन्न खाना चाहिए जैसे की साबुदाना खीर ,फल और दूध|

इनसे पर्याप्त पोषण मिलता है ,यह पचन करने मे हल्के होते है और पित्त भी नही बढाते |

तो उपवास कैसे करना चाहिए ?

  • उपवास के दिन ज्यादा से ज्यादा समय आत्मचिंतन करना चाहिए ।
  • हल्का और कम अन्न खाना चाहिए |
  • पित्तशामक याने पित्त को न बढ़ाने वाले पदार्थ खाने चाहिए – साबूदाना खीर , फल और दूध ।

आज हमने उपवास के पीछे का शास्त्र जाना “पचन क्रिया को विश्रांति देकर आत्म-चिंतन करो ”।

हम रविवार को हम ब्रेक लेते है ,विश्रांति करते है ,साफ सफाई और हफ्ते भर के बचे-कुचे काम करते है और सोमवार को ताजा तवाना होकर नये जोश के साथ काम पर लग जाते है |

उसी तरह हफ्ते मे एक दिन शरीर और मन को विश्रांति देनी चाहिए ताकि वह भी खुद की साफ सफाई करके ,शुद्ध होकर नये जोश से काम कर सके |

तो चलो……..हफ्ते मे एक दिन शास्त्र मे बताए गये तरीके से उपवास करे और निरोगी रहे |

तो मिलते है अगले आरोग्य मंत्र के साथ…तब तक के लिए |

Stay Healthy, Stay Blessed .

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