पिछले ब्लॉग मे हमने उपवास का मतलब जाना –
उप याने – अंदर , वास याने – रहना ……..
उपवास याने अपने अंदर वास करो |
अपने अंदर की शक्ती /आत्मा उस पर चिंतन करो याने आत्मचिंतन करो |
तो उपवास मन की शांती /आध्यात्मिक उन्नति के लिए होते है|
इसलिए उपवास के दिन हो सके उतना आत्मचिंतन /meditation करना चाहिए |
आत्मचिंतन के साथ शरीरशांती के लिए भी उपवास करना चाहिए | शरीर शांती याने जो अपनी पचन क्रिया निरन्तर काम कर रही है उसे विश्रांती देना |
आयुर्वेद मे इसे लंघन कहते है | मतलब पूरा दिन कुछ नही खाना |
लंघन करने से पचनशक्ती को रोज के काम से विश्रांती मिलती है और वह शरीरशुद्धी का काम करती है | जैसे हमे हफ्ते मे एक दिन छुट्टी मिल गई की हम हफ्ते के सारे बचे-कुचे काम ,साफसफाई करते है |
किंतु बहुतांश लोग लंघन नही कर पाते । आपको लंघन करने नही जमता तो उपवास के दिन कम और हल्का अन्न खाना चाहिए|
पर हम तो “ एकादशी दुप्पट खाशी ” मतलब उपवास के दिन विविध उपवास के पदार्थ बनाकर बहुत ज्यादा खाते है और पचन शक्ती को आराम की जगह दुगना काम देते है | इसलिए उपवास करने पर निरोगी रहने की जगह हमे एसिडिटी ,सिरदर्द ,पेटदर्द जैसी सब पित्त की बीमारीया होने लगती है |
तो जानते है आज का आरोग्य मंत्र – ०४
“उपवास कैसे करना चाहिए ?”
उपवास के दिन पित्त बढ़ाने वाली चीजे नही खानी चाहिए पर आप कहोगे की उपवास के दिन तो खिचड़ी खाने को कहा है |
नही…. उपवास के दिन खिचडी नही बल्की साबुदाना खाने को कहा है |
साबुदाने का रंग सफेद होता है | सफेद रंग पित्तशामक होता है |
खिचड़ी मे जो मूंगफली और मिर्च होती है वो पित्त बढ़ाते है |
दिन भर खिचड़ी खाने से पित्त ज्यादा बढ़ जाता है , श्याम तक या अगले दिन तक पित्त की सारी बीमारीया होने लगती है जैसे सिरदर्द ,पेटदर्द ,एसिडिटी|
इसलिए उपवास के दिन हल्का और पित्त कम करने वाला अन्न खाना चाहिए जैसे की साबुदाना खीर ,फल और दूध|
इनसे पर्याप्त पोषण मिलता है ,यह पचन करने मे हल्के होते है और पित्त भी नही बढाते |
तो उपवास कैसे करना चाहिए ?
- उपवास के दिन ज्यादा से ज्यादा समय आत्मचिंतन करना चाहिए ।
- हल्का और कम अन्न खाना चाहिए |
- पित्तशामक याने पित्त को न बढ़ाने वाले पदार्थ खाने चाहिए – साबूदाना खीर , फल और दूध ।
आज हमने उपवास के पीछे का शास्त्र जाना “पचन क्रिया को विश्रांति देकर आत्म-चिंतन करो ”।
हम रविवार को हम ब्रेक लेते है ,विश्रांति करते है ,साफ सफाई और हफ्ते भर के बचे-कुचे काम करते है और सोमवार को ताजा तवाना होकर नये जोश के साथ काम पर लग जाते है |
उसी तरह हफ्ते मे एक दिन शरीर और मन को विश्रांति देनी चाहिए ताकि वह भी खुद की साफ सफाई करके ,शुद्ध होकर नये जोश से काम कर सके |
तो चलो……..हफ्ते मे एक दिन शास्त्र मे बताए गये तरीके से उपवास करे और निरोगी रहे |
तो मिलते है अगले आरोग्य मंत्र के साथ…तब तक के लिए |
Stay Healthy, Stay Blessed .