Uncategorized – Aayuttam – Ayurvedic Clinic https://aayuttam.com Thu, 10 Oct 2024 07:24:47 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://aayuttam.com/wp-content/uploads/2024/04/cropped-favicon-op-32x32.webp Uncategorized – Aayuttam – Ayurvedic Clinic https://aayuttam.com 32 32 Prajanan प्रजनन -हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड के लिए पंचकर्म https://aayuttam.com/blog/prajanan-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%9c%e0%a4%a8%e0%a4%a8-%e0%a4%b9%e0%a5%87%e0%a4%b2%e0%a5%8d%e0%a4%a6%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%97%e0%a4%a8%e0%a5%87%e0%a4%82-2/ Thu, 22 Aug 2024 17:07:05 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=4007

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आज का विषय है हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड

हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड के लिए हमें क्या करना चाहिए?

इसके लिए एक बहुत ही अच्छा उपाय आयुर्वेद में बताया गया है। – पंचकर्म और योगा

पंचकर्म और योगा से हम हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड हासिल कर सकते है।

पंचकर्म और योगा से हमे कैसे फायदा होगा?

पंचकर्म –

हम हर रोज हमारे घर की साफ सफाई करते है फिर भी साल में एक बार हम पूरे घर की फिरसे अच्छे से साफ सफाई करते है। कयू ? क्योंकि अगर घर के कोनो में जमी गंदगी भी निकल जाए तो कीटाणु नहीं होगे और कीटाणु नही तो बीमारियां नही। घर मे सब स्वस्थ रहेंगे। उसी तरह साल में एक बार अगर हम पंचकर्म से शरीर की शुद्धि करे तो तो साल भर शरीर में जमा हुए टॉक्सिंस(गंदगी) शरीर से  निकल जाती है और हम निरोगी रहते है।और निरोगी शरीर से ही हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड हासिल होती है |

योगा –

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और स्ट्रेस हर बीमारी का महत्वपूर्ण कारण है। योगा एक ऐसा व्यायाम है कि जिसमें हम बहुत ही संथ गती से श्वास अंदर लेते है और श्वास बाहर निकालते है। इस वजह से अपना मन और शरीर शांत हो जाता है और हम निरोगी रहते हैयोगा करने से शरीर और मन का तनाव भी निकल जाता है। योगा के साथ मुद्रा करे और मंत्र कहे तो हमारे शरीर मे सकारात्मक ऊर्जा बनती है। वह भी हमे निरोगी रखने मे मदद करती है। और संतुलित शरीर और मन में ही हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड पाई जा सकती है।

जीवनशैली में परिवर्तन

आजकल 70 टक्के बीमारियां अपने गलत जीवनशैली की वजह से होती है जैसे वबेवक्त खाना, पीना, सोना, उठाना। अगर हम जीवनशैली मे बदलाव ना करे तो आज हम निरोगी है पर बार-बार बीमार होते रहेंगे ।   

इसलिए आपको अगर हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्थी बेबी, हेल्थी मदारहूड चाहिए तो पहले खुद को और अपने साठीदार को निरोगी बनाए।

यह सब चीजो को ध्यान में रखकर हमारे आरोग्यम आयुर्वेदिक क्लीनिक मे हमने एक प्रोग्राम बनाया है। उसका नाम है प्रजनन।

प्रजनन

इस प्रोग्राम मे हमने पंचकर्म, योगा, मुद्रा, मंत्र, जीवनशैली मे बदलाव और विविध दवाइयां इस सब का अंतर्भाव किया है। इसकी वजह से आपका शरीर और मन संतुलित और निरोगी रहता है।

यह प्रोग्राम 15 दिन से 1 महीने का होता है। अगर आपको अच्छी स्वस्थ प्रेगनेंसी चाहिए तो प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले (नॅच्युरल प्रेगनेंसी हो, या IUI/ IVF  हो ) उससे पहले आप यह आयुर्वेद का सुंदर वरदान पंचकर्म इसका जरूर उपयोग कीजिए । प्रजनन प्रोग्राम का लाभ उठाए।

धन्यवाद.

 
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जानिए बस्ती पंचकर्म के पीछेका शास्त्रीय विचार क्या है? Blog – 59 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%8f-%e0%a4%ac%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a4%82%e0%a4%9a%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%ae-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%aa%e0%a5%80/ Fri, 09 Aug 2024 04:13:37 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3990 नमस्कार

पिछले ब्लॉग मे हमने पंचकर्म, उसके प्रकार वमन और विरेचन कर्म इनके बारे में अधिक जानकारी ली थी | इस ब्लॉग मे हम बस्ती कर्म के बारे मे जानकारी लेंगे |

लोगों को बस्ती कर्म याने पेट साफ करने वाली दवा इतना ही पता होता है| पेट साफ हो गया और अच्छा लगने लगता है।

कया बस्ती कर्म का इतना ही उपयोग है ? – नही | बस्ती चिकित्सा के पीछे एक बहुत महत्वपूर्ण विचार/ शास्त्र है।

आयुर्वेद में बस्ती चिकित्सा को “आधी चिकित्सा” कहा जाता है।

मतलब रुग्ण को हम सिर्फ बस्ती चिकित्सा देकर 50% ठीक कर सकते हैं | और बाकी के 50% गुण के लिए बाकी सब पंचकर्म, दवाई, जीवनशैली में बदलाव और व्यायाम की जरूरत पड़ती है। याने रुग्ण को 50% गुण सिर्फ बस्ती चिकित्सा से ही मिल जाता है।

आयुर्वेदने इसलिए बस्ती चिकित्सा को बहुत महत्वपूर्ण माना है। तो उसके पीछे का शास्त्र भी बहुत महत्वपूर्ण होगा।

चलो इस ब्लॉग में हम जानते हैं कि बस्ती कर्म के पीछे क्या शास्त्रीय विचार है?

उससे पहले हमें अपने शरीर के पचनमार्ग के बारे में थोड़ी जानकारी होना आवश्यक है।

हम जो अन्न खाते है उसपर पचन संस्कार मुंह में शुरू हो जाता है| फिर अन्न जैसे नीचे नीचे जाता है वैसे पेट, जठर, अग्न्याशय याने (stomach, liver, Pancrease) से पाचक स्त्राव उसमे मिलते है। फिर वह अन्न नीचे छोटे और बड़े आंतडो में जाता है| छोटे और बड़े आंतडोमे उस अन्न से पोषक अंशको खून में शोष लिया जाता है।

मतलब इधर एक बात पर गौर किजिए कि जो पोषक अंश खून में शोष लिया जाता है वह आतडो से होता है। और जब यह पोषक अंश खून में शोष लिया जाता है उसके बाद वह पूरे शरीर में जाकर शरीर का पोषन होता है और हमारे शरीर को ताकत मिलती है। इसी तत्व का फायदा बस्ती चिकित्सामें उन जमाने में ऋषियों ने किया।

कैसे?

दवा को ३ घंटे के पचन मार्ग से जानेकी आवश्यकता नहीं होती। इसलिए उन विद्वान ऋषियों ने बस्ती चिकित्साकी निर्मिती की ।बस्ती चिकित्सा द्वारा दवाईयां सिधा आंतडो में जाती है और मिनटोमें आंतडो से रक्त मे शोषण होती है और अपना काम शुरू कर देती है।

मतलब उन दिनो मे बस्ती चिकित्सा यह इमरजेंसी सर्विस याने अत्यायिक चिकित्सा होती थी।

उन ऋषियों और उनकी विद्वता को सलाम।

आप आश्चर्यचकित हो गए ना जानकर कि बस्ती चिकित्सा कितनी महत्वपूर्ण है और उसके पीछे इतना गहन शास्त्र है |

आयुर्वेद ऐसे अनेक सिद्धांतो से परिपूर्ण है क्युकि आयुर्वेद यह एक शास्त्र है। इसलिए उसके सिद्धांत समझ न आए तो आयुर्वेद के बारे में नाम रखने से पहले उस शास्त्र का अभ्यास करना चाहिए|

क्युकि आयुर्वेद के सिद्धांत सिद्ध करके अंत हुए हैं, याने यह तत्व सिद्ध हुए है और उसके आगे सिद्ध करने जैसा कुछ नही है। इसलिए आयुर्वेद के सिद्धांत इतने सालो बाद आज भी सच है | इसलिए अपने शास्त्र प्रति आदर रखो।

आयुर्वेद के सिद्धांत के बारे मे हम आनेवाले ब्लॉगस् मे लिखते रहेंगे|

अगले ब्लॉगमे हम बस्ती के प्रकार और बस्ती के बारे मे और अधिक जानकारी लेंगे|

आयुर्वेद के प्रचार के लिए यह ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे, लाइक करे|

Stay Healthy Stay Blessed

Thank you

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Science behind Basti Panchakarma – Blog – 58 https://aayuttam.com/blog/science-behind-basti-panchakarma-blog-58/ Fri, 02 Aug 2024 08:48:05 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3974 Greetings from Aayuttam Ayurveda Blog.

In our previous blog, we delved into the concept of Panchakarma, exploring its various types, including Vaman and Virechan in great detail. Today, we embark on a journey to understand Basti Chikitsa.

Commonly perceived as a treatment solely focused on bowel cleansing, Basti holds a much deeper significance in Ayurveda. It is not merely a therapy for clearing the bowels, but rather a profound science with far-reaching therapeutic benefits.

Good day, everyone. In today’s blog, we will delve into the scientific principles underlying BASTI CHIKITSA, an integral part of Ayurvedic medicine.

In Ayurveda, BASTI CHIKITSA holds a prominent position, often referred to as “half treatment.” This signifies that, in many cases, BASTI CHIKITSA alone can effectively address up to 50% of a patient’s health concerns. However, for comprehensive healing, it is often combined with other therapeutic modalities, such as medication, dietary modifications, and exercise, to achieve optimal results.

The profound significance accorded to BASTI CHIKITSA underscores its potential in promoting overall well-being and addressing various health conditions.

Before delving into the scientific principles underlying the basti treatment, it is essential to gain an overview of our digestive system.

Upon consumption, the digestion of food commences in the oral cavity. As it progresses downward into the stomach, it undergoes amalgamation with various gastric fluids and hepatic enzymes. The primary function of nutrient absorption from ingested sustenance occurs within the intestinal tract, encompassing both the large and small intestines. Subsequently, the absorbed nutrients, in conjunction with the bloodstream, are distributed throughout the entire body, thereby nourishing it.

The key point to note is that absorption occurs in the intestine. This principle was utilized by our ancient sages in developing the Basti Chikitsa.

Food requires a three-hour digestion process to be converted into a form that the body can absorb nutrients from. However, medicine does not require a 3-hour digestion process to be absorbed into the bloodstream. Therefore, in order to bypass this 3-hour process and reach the intestine directly, our sages formulated Basti Chikitsa.

In ancient times, kadhas and ghee-based medicines were administered directly into the large intestine using a BASTI YANTRA, allowing for rapid absorption into the bloodstream. This innovative approach to emergency medical treatment, known as BASTI chikitsa, held great significance.

The scientific principles underlying basti treatment are truly remarkable. Our revered sages deserve our utmost respect for pioneering such a novel and effective emergency treatment modality in those times.
All Panchakarmas and medicine of Ayurveda are backed by scientific principles. These principles are known as Siddhants.

Siddhant is derived from the words Siddha and Anth. Siddha means something that is proven, while Anth means the end. Therefore, Siddhant refers to a truth that has been proven and is considered unchangeable. The Siddhants expounded in Ayurveda are unique and represent the fundamental truths of life.

If we fail to comprehend these Siddhants, it may be due to insufficient effort in seeking detailed information, inadequate study, or a lack of intellectual capacity to grasp the concepts. However, it is erroneous to dismiss Ayurveda as unscientific. Instead, we should diligently study, investigate, and learn the science behind Ayurveda to gain a deeper understanding of its principles.

Ayurveda is a time-tested science that remains relevant and effective to this day. It is imperative that we pay due respect to Ayurveda and embark on a journey of learning and understanding its principles. I am humbly contributing my efforts to promote Ayurveda by elucidating the scientific basis behind its practices. I encourage you to join me in this endeavor.

In our upcoming blog post, we will delve into the intricacies of basti karma, exploring its various types and the associated benefits.

I invite you to follow our blog, “Treasures of Ayurveda,” for insightful and informative content on this ancient healing system.

Wishing you continued health and well-being.

Thank you for your attention.

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पंचकर्म क्या है ? (Hindi Blog No- ) Blog – 55 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%aa%e0%a4%82%e0%a4%9a%e0%a4%95%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%ae-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88-hindi-blog-no-blog-55/ Fri, 12 Jul 2024 12:00:55 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3896 पंचकर्म पंचकर्म पंचकर्म…. आजकल सब जगह एक ही नाम है पंचकर्म

कोई पंचकर्म का मतलब मसाज समझते हैं तो कोई पंचकर्म को उल्टी और जुलाबवाली दवा कहते हैं।

तो आखिर सही अर्थ में पंचकर्म है क्या ?

चलो जानते हैं आज के हमारे ब्लॉग में पंचकर्म क्या है?

पंचकर्म

पंच याने ५ और कर्म याने क्रिया।

पंचकर्म याने ऐसी पांच क्रियाए जिन से शरीर शुद्धि होती है और शरीर को ताकत मिलती है |

शरीर शुद्धि पंचकर्म मे समावेश होता है।

१. वमन
२. विरेचन
३. बस्ती
४. नस्य
५. रक्तमोक्षण

  • शरीर को ताकत देनेवाले पंचकर्म में समावेश होता है।
    शक्तिवर्धक पंचकर्म

    १. स्नेहन
    २. स्वेदन
    ३. शिरोधारा
    ४. नस्य
    ५. बस्ती

नस्य और बस्ती इन कर्मोका शरीरशुद्धी पंचकर्म और शक्तिवर्धक पंचकर्म इन दोनों मे समावेश होता है क्युकि जिस प्रकार का द्रव्य इन कर्मों में इस्तेमाल होता है (जैसे जिस प्रकार का तेल, घी, काढ़ा ) उस तरह का शरीर पर असर होता है जैसे शक्तिवर्धक द्रव्य का इस्तेमाल बस्ती या नस्य मे किया तो शक्तिवर्धन होता है और अगर शरीरशुद्धी द्रव्य का उपयोग किया तो नस्य और बस्ती से शरीर शुद्धी होती है , इसलिए इन कर्मो का समावेश दोनों में होता है।

पहले शरीरशुद्धि पंचकर्म के बारे में जानते है |

शरीर शुद्धी पंचकर्म –

वमन और विरेचन

कालावधी –

वमन और विरेचन इन पंचकर्म क्रियाओं को १५ दिन का कालावधी लगता है।

शास्त्र –

वमन और विरेचन इन शरीर शुद्धि कर्मोमे शरीर की पचनशक्ती को शरीरशुद्धी के लिए इस्तेमाल किया जाता है इसलिए जिंदा रहने के लिए आवश्यक हो उतना ही अन्न खाना यह मंत्र हमें कम से कम १५ दिन अपनाना पड़ता है। शरीरशुद्धि क्रिया में पचन शक्ति को पचन कर्म से आराम देकर उस पचनशक्ती को शरीर शुद्धि के लिए इस्तेमाल करना यह इसके पीछे का हेतु होता है।


विधी– वमन और विरेचन पंचकर्म को ४ विभागों में विभाजित किया जाता है।
१. स्नेहपान
२. प्रधान कर्म
३. संसर्जन क्रम
४. अपुनर्भव चिकित्सा

१. स्नेहपान

इस विधी मे बढ़ते प्रमाण मे औषधी घी का सेवन करना होता है।

यह विधि ५ से ६ दिन चलती है।

इसमें सुबह खाली पेट औषधी घी का सेवन करना होता है और औषधि घी बढ़ते हुए प्रमाण में दिया जाता है, जैसे पहले दिन ४ चम्मच, दुसरे दिन ६ चम्मच फिर ८, १२, १६ चम्मच इस प्रमाण में औषधि घी को बढ़ाया जाता है। घी खाने के बाद गरम पानी पीते रहकर जब घी की डकार आना बंद हो जाए (मतलब घी हजम हो गया है )उसके बाद भूख लगे तब मूंग दाल की खिचड़ी और प्यास लगे तब गरम पानी पीना होता है।

इस औषधि घी के सेवन से हमारे शरीर का आम (टॉक्सिंस) पतला होता हैं।

उस के बाद स्नेहन यानी मसाज और स्वेदन याने स्टीमबाथ दी जाती है|

स्नेहन और स्वेदन – यहा स्नेहन और स्वेदन का उद्देश शरीर का आम (टॉक्सिक्स) शरीर के मध्य मे लाना होता है| जैसे हम घर की साफ सफाई करने के बाद नीचे गिरा हुआ कचरा इकट्ठा करके फिर बाहर फेकते हैं उसी तरह जब स्नेहपान से शरीर का आम पतला होता है (टॉक्सिन लिक्विफाय होते है) तब स्नेहन और स्वेदन से वह आम शरीर के शाखाओं से मध्य में लाया जाता हैं।

३. संसर्जन क्रम

यह १० दिन से लेकर १५ दिन तक करने का विधि है |

वमन और विरेचन इन प्रधान कर्मो के दौरान सिर्फ मूंग दाल और चावल खाना होता है| मतलब यह विधी उपवास के समान ही हो जाता है| इसलिए जैसे कोई भी उपवास छोड़ते वक्त हम शुरवात में हलके पदार्थ खाना शुरू करते हैं फिर धिरे धिरे हजम करने में भारी पदार्थ खाना शुरु करते है वैसे ही वमन और विरेचन इन प्रधान कर्मो के बाद हम पहले भोजन मे हल्के पदार्थ जैसे लिक्विड याने दाल का पानी, चावल का पानी, चावल और फिर खिचड़ी ऐसे धीरे-धीरे नॉर्मल डाइइट पर आते हैं| इस क्रम को संसर्जन क्रम कहते हैं।
संसर्जन क्रम के बाद आती हैं।

४. अपुनर्भव चिकित्सा

अपुनर्भव मतलब व्याधी फिर से ना हो इसलिए की जाने वाली चिकित्सा ( Preventive treatment) इसमें प्रधान कर्म होने के बाद आगे १५ दिन औषधि और घी दिया जाता हैं जिससे प्रतिकार शक्ति बढ़ती है।

वमन विरेचन कर्म कब करने चाहिए?

निरोगी व्यक्ति ने वसंत ऋतु में यानी लगभग फरवरी-मार्च के दरमियान वमन कर्म और शरद ऋतु में याने लगभग सितंबर – अक्टूबर मे विरेचन कर्म करवाके लेने चाहिए।

बीमार व्यक्ति ने पंचकर्म कब करवाना चाहिए ?

बीमार व्यक्ति ने वैद्य की सलाह लेकर या बीमारीकी गंभीरता को ध्यान मे रखकर साल भर मे एकबार पंचकर्म करवाके लेना चाहिए।

वमन / विरेचन कर्म मे से कौनसा कर्म किसने करवाना चाहिए ?

अनुमान ऐसा होता है कि जिनकी प्रकृति कफ की है और जिनको कफ की बीमारियां है जैसे बार बार सर्दी होना, खासी, अस्थमा, डायबिटीज, थाइरॉइड और अलग-अलग प्रकार के त्वचा रोग जैसे एग्जिमा, सोरियासिस हो उन लोगों को वमन कर्म करवाके लेना चाहिए और जिनकी पित्त की प्रकृति है और जिन्हे पित्त की बीमारीया है जैसे मासिक धर्म की समस्या, माइग्रेन, सिरदर्द, मलबद्धता, एसिडिटी हो उन्हे विरेचन कर्म करवाकर लेना चाहिए।

साल मे कितनी बार पंचकर्म करवा के लेना चाहिए?

जैसे हम साल मे एक बार घर की साफ सफाई करते है उसी प्रकार साल मे एक बार पंचकर्म करवाकर लेना चाहिए।

पंचकर्म के फायदे

१. शरीरशुद्धि होती है |

२. शरीर को ताकत मिलती है।

३. अपुनर्भव चिकित्सा – इस विधि से प्रतिकार शक्ति बढ़ती है।

इस ब्लॉग में हमने वमन और विरेचन के बारे मे जानकारी ली। अगर आपको कोई भी शंका हो तो हमारे

E-MAIL ID – aarogyam.ayurvedic.clinic@gmail.com पर आप हमे संपर्क कर सकते है ।

अगले ब्लॉग मे हम बस्ती कर्म के बारे मे जानेगे।

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Home Remedy For Bleeding Fissure And Piles – ONION (Home Remedy – 07) Blog – 51 https://aayuttam.com/blog/home-remedy-for-bleeding-fissure-and-piles-onion-home-remedy-07-blog-51/ Fri, 14 Jun 2024 11:52:32 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3813 Today’s topic is Fissure and Piles.

Fissure and Piles are common and painful conditions that can significantly impact daily life. Bleeding from either condition can further compound the discomfort and lead to significant weakness.

It is important to understand the risk factors associated with Fissure and Piles. Individuals who consume spicy or non-vegetarian foods, as well as those who experience constipation, are more likely to develop these conditions.

Prevention is key in managing Fissure and Piles.

1) Prevent constipation.

2) Adhere to the “HEALTH MANTRA” for the summer season.

The link to the HEALTH MANTRA video titled “Immunity booster for October – Coconut” is provided below. Please watch the video.

The ‘HEALTH MANTRA’ for summer is:

“Consume sweet, white, watery, coconut, and boiled foods to prevent summer diseases.”

What to eat?

  • Eat food which is white in colour like rice, coconut etc.
  • Eat white fruits like apple, guava, banana, custard apple etc as white things are coolant.
  • In diet have more of milk and milk products likes ghee, buttermilk, makkhan i.e butter.
  • Avoid oily and spicy food esp green chilli, pepper, ginger, garlic.

In summer season if you don’t follow HEALTH MANTRA and eat lot of spicy food likes raw green chillies in form of chutney, sandwich, pani puri then bleeding starts from fissure and piles.

How can this bleeding be stopped?

A simple home remedy is:

ONION – Roast an onion on the stove with the peels, then remove the peels and consume the onion or have it with curd. This remedy immediately stops bleeding from fissures and piles.

What dietary changes should be made if you have fissures and/or piles?

1) Completely eliminate green chilies, pepper, ginger, and garlic from your diet.

2) Consume a significant amount of buttermilk with both meals.

3) Eat SURAN vegetable (Elephant yam) at least 2-3 times a week.

Prior to preparing SURAN vegetable, it is advisable to soak it in buttermilk for approximately one hour, followed by washing it with warm water. This process is recommended due to the presence of a significant amount of calcium oxalates in suran, which can be effectively removed by soaking in buttermilk. Consuming suran in its raw form may result in irritation of the throat and tongue, as well as an increased likelihood of joint pain and kidney stones.

4. Additionally, it is recommended to avoid consuming green leafy vegetables and salads, as the fibers present in these items can cause friction against pile mass and fissures, thereby exacerbating pain.

If you are constipated – to relief constipation consume 1 cup milk or 1 cup warm water added with 1 teaspoon of ghee or one teaspoon of almond oil before meals. This relieves constipation and flatus, as well as soothens anal skin and thus eases irritation and burning in anal area.

  1. Every day in the morning and at night consume 1 teaspoon of Triphala powder or 2 tablets of Triphala on empty stomach with warm water.

All of these home remedies will serve as preventative measures against fissure and piles or will alleviate your symptoms of fissure and piles.
However, it is still necessary to consult a medical professional to address the underlying cause.

In Panchakarma, a treatment called Ksharsutra effectively removes piles by severing the pile mass from its base.

Take advantage of Ayurveda to avoid fissure and piles entirely.

Additionally, adhere to health mantras and home remedies to prevent and treat fissure and piles. We hope you find our home remedies beneficial.

Stay connected with us for more home remedies.

Until then, stay healthy and blessed.

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Eating Food While Watching T.V and Mobile is Increasing Proneness to Diseases. – Blog – 49 https://aayuttam.com/blog/eating-food-while-watching-t-v-and-mobile-is-increasing-proneness-to-diseases-blog-49-2/ Fri, 31 May 2024 05:27:28 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3758

In Treasures of Ayurveda, We are going to give you a different perspective of looking at health which is going to keep you healthy.

So today’s topic is – “Respect food”.

Whole universe is made up of energy. Energy is transformed from one form into another along with information. If energy goes with wrong information then output is wrong. Same applies to food energy too.

We get energy from food we eat.

Food is full of energy and information. It is not a dead thing. The same food is making us everyday. The same food is making each cell of our body. It’s a big magic…. it’s a big transformation.

So Ayurveda calls it YAGYA…that’s a ritual. Because nothing in this whole universe can make you other than food.

No wealth, no material can make you. So we should look at food with a gratitude and respect.
Only making healthy food is not sufficient to remain healthy. But while making and eating food ,there should be correct information in the mind i.e. positive thoughts and vibes. Because those thoughts, vibes in the form of information are going to guide the food energy to get transformed into body cell. So if bad vibes go with food then ofcourse the end result will be bad ….

Nowadays we watch TV , play on mobile , listen to music while eating food…..so the result is n number of diseases are also increasing like diabetes, cancer and we don’t know the answer to these diseases.

Why this is happening ?
So ayurveda tells you a different perspective ……

That is this miraculous transformation of converting food to body cells should go with correct information.

So ayurveda has told few rules while eating and making food.

  • When we are eating and making food the environment should be calm, positive and pleasent.
  • The MIND should be healthy with good thoughts and positive vibes
  • You should sit down and eat… not standing… not walking.
  • While eating food TV, Mobiles, music… everything should be shut down.
  • PRAYER – You should pray before having food. With the prayer we are sending good , positive information with the food.

So the food with the correct information that” Please God…make me healthy with this food.” is going inside you and making you correctly….i.e. healthy.

If we are not paying attention to food while eating then we suffer different diseases like cancer….cancer cell gets wrong information and one cell gets divided into thousand cells …..so from where did this faulty information go to the cell? Ofcourse while making and eating food.

So we should not treat food as entertainment.

Food is God. We should respect FOOD.

You tell your food to make you healthy, you send in correct information and you become and remain healthy
So being healthy is in your hand.

Think healthy and be healthy and “Respect Your Food”

So include this perspective in your life and see miracles happening.
Stay tuned with us for more blogs.
Thank you

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खाना खाते वक्त टी.वी, मोबाइल देखने से बढ रही है बीमारियां। Blog – 48 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%96%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%96%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%87-%e0%a4%b5%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%a4-%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%87/ Fri, 17 May 2024 05:56:51 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3740

ट्रेजर्स ऑफ आयुर्वेदा मे हम समय के साथ जो आरोग्य का सही अर्थ भूल चुके है उस पर थोड़ी रोशनी डालेंगे|

आज का हमारा विषय है – आहार 

आज हम आहार के प्रति नए दृष्टिकोण के बारे मे जानेंगे |

आहार से हमे ऊर्जा मिलती है|

हम जो अन्न खाते है उसीसे हमारे शरीर की हर एक पेशी बनती है।आहार को पुराने जमाने मे यज्ञ माना जाता था |

इसलिए हमे आहार के प्रति एक अलग दृष्टिकोन जानना बहुत जरूरी है|आहार सजीव है ,उसमे ऊर्जा है|आहार की यह ऊर्जा अगर सही जानकारी के साथ शरीर मे जाए तो हम निरोगी रहते है |

आयुर्वेद ने बताया है की खाना खाते वक्त कुछभी काम नही करना चाहिए |

  • खाना खाते वक्त हमारा मन शांत होना चाहिए |
  • खाना खाते समय टी.वी, मोबाइल बंद चाहिए |

1 . खाना खाते वक्त हमारा मन शांत होना चाहिए |  खाना खाते वक्त मन मे जो विचार होते है वही विचार हम अन्न के साथ शरीर मे लेते है और हम उसी तरह बनते है|

2 . खाना खाते समय टी.वी, मोबाइल बंद रखना चाहिए – खाना खाते समय टी.वी, मोबाइल, विडियो कुछ भी चालू नही रखना चाहिए| क्यूकी हमारा ध्यान उन चीज़ों में जाता है | इससे हम क्या खा रहे है हमे पता नही होता | टीवी, मोबाईल के विचार अन्न के साथ शरीर मे जाते है और इस गलत जानकारी के कारण हमारे शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। हमे अलग अलग बीमारियाँ होने लगती है |

आहार यज्ञ है | आहार हमे हर रोज बना रहा है | उस आहार के साथ हम जो जानकारी शरीर के भीतर भेजते है हमारे शरीर की हर एक पेशी उस गुण की बनती है।

इसलिए सौ बीमारियो का एक इलाज है अन्न खाते वक्त हमारा पूरा ध्यान खाने पर होना चाहिए |

पहले हात जोड कर नमस्कार करना चाहिए | फिर एक पौजेटिव ऊर्जा खाने मे डाले । यह एक यज्ञ है | एक बहुत अद्भुत परिवर्तन है । रोटी ,सब्जी, दाल ,चावल से शरीर की हर एक पेशी बनाना आम बात नही है। अन्न की ऊर्जा का शरीर पेशी में परिवर्तन होते वक्त उसके साथ सही जानकारी information जानी चाहिए तब यह परिवर्तन सही होगा और निरोगी पेशीया बनेगी|जैसे कंप्यूटर मे हमने अगर गलत information जानकारी डाली तो हमे गलत result मिलेगा। पेशी निरोगी होगी तो वह अपना काम सही करेगी।और सब पेशियां अपना काम सही करने लगेगी तो हमे बीमारियां नही होगी।सिर्फ हेल्दी खाना पकाने से फायदा नही है | जब हम खाना खा रहे है उस समय जो वातावरण है वह भी सही चाहिए, अपना मन शांत होना चाहिए और उसके साथ हम जो जानकारी भेज रहे है वह भी सही होनी चाहिये |

यह दृष्टिकोण का हमारे खुद के लिए और विशेष करके छोटे बच्चो के लिए पालन करना बहुत जरूरी है, कि खाना खाते वक्त टी.वी, मोबाइल बंद होने चाहिये और खाते वक्त हमारा पूरा ध्यान खाने पर होना चाहिए |

इस तरह से हम अपने जीवनशैली की छोटी छोटी चीजों मे अगर बदलाव करे तो हम निरोगी रहते है। विशेष रूप से आहार में।

आप यह दृष्टिकोण अपने जीवन में जरूर अपनाए ।

Stay  Healthy Stay Blessed.

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तेल अपनाए दर्द मिटाए | (घरेलू नुस्का नं -03) Blog No – 24 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%a4%e0%a5%87%e0%a4%b2-%e0%a4%85%e0%a4%aa%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%8f-%e0%a4%a6%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a6-%e0%a4%ae%e0%a4%bf%e0%a4%9f%e0%a4%be%e0%a4%8f-%e0%a4%98%e0%a4%b0%e0%a5%87%e0%a4%b2/ Fri, 17 Nov 2023 13:07:18 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=2761 आयुर्वेद के अनुसार वर्षाऋतु मे वात बढता है और वात के साथ बढ़ते है सब तरह के दर्द जैसे घुटनो मे दर्द ,बदन मे दर्द , पेट मे दर्द

तो वर्षाऋतु का दर्द नाशक है – तैल

  • सांधो में दर्द के साथ सुजन हो तो – उष्ण, गरम गुण वाले तैल अपनाए जैसे महाविश्वगर्भ तैल , सरसों का तैल|
  • अगर सांधो में चलते वक्त और काम करते वक्त दर्द हो और उसके साथ कमजोरी हो तो ताकत देने वाले तैल अपनाए
  • जैसे चंदनबला लाक्षादी तैल, महानारायन तैल
  • रात सोते वक्त एक या दो बूंद तैल नाभि मे डालकर , हल्के से मसाज करके सोए |

इन सबसे शरीर और सांधो का वात कम होता है |

आयुर्वेद ने वर्षा ऋतु मे आहार मे तैल का सेवन लाभदायक बताया है | तो अगर आपको ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रोल या मोटापा ऐसे बीमारियां नही हो तो इस ऋतु मे तली हुई चीज खाना लाभदायक होता है | इससे वात काम होता है|

वैसे भी हमे बारिश मे तली हुई चीजे खाने की इच्छा होती है जैसे वडा पाव या फिर भजिया |

तो कैसे लगा हमारा आज का नुक्सा ?
ऐसे ही और नुक्सो के लिए हमारे साथ बने रहिए…Aarogyam Ayurvedic Clinic पर तब तक के लिए
Stay Healthy…. Stay Blessed

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Oil – The Pain Killer of Rainy Days (Home Remedy No. – 03) Blog.- 23 https://aayuttam.com/blog/oil-the-pain-killer-of-rainy-days-home-remedy-no-03-blog-23/ Fri, 03 Nov 2023 15:17:00 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=2731 Ayurveda states that, in rainy season VAAT increases and VAAT creates all kinds of pains- joint pain, body pain, pain in abdomen

So the Painkiller of rainy season is – OIL

  • So if you have pain with some kind of swelling then apply oil with warm properties like VISHGARBH OIL or Mustard oil.
  • If you have pain during walking or pain during movement with weakness then apply oil which has strengthening properties like MAHANARAYAN OIL , CHANDAN BALA TAIL .
  • Apply oil to the affected part ,do a very soft massage and then give hot fermentation.
  • Also put one drop or two drops of tail /oil in the naval area, massage little and go off to sleep.

Even consuming oil in this season is advised by ayurveda so if you’re not suffering from any major diseases like hypertension or cholesterol or obesity then oil is very good for this season.

So you can consume fried food ( anyways we get tempted to eat BHAJIS ) in this season.

So our Painkiller for the rainy season is OIL.
Hope you liked our video and stay tuned for more home remedies on our blogsite – Treasures of Ayurveda.

Stay Healthy……. Stay Blessed

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Dry Ginger Powder – Healer against Rainy Diseases. (Home Remedy No. – 02) Blog.- 21 https://aayuttam.com/blog/dry-ginger-powder-healer-against-rainy-diseases-home-remedy-no-02-blog-21/ Fri, 20 Oct 2023 13:59:32 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=2616 As rain is increasing so are diseases of rain especially stomach pain, joint pain and cold.
So the Home Remedy is

Dry Ginger Powder

  • So if you are having stomach pain then take Sunth powder (Dry Ginger powder) mix it with jaggery make tablets and have it before meals.
  • If you’re suffering from a lot of cold and blocked sinuses then take Sunth (Dry Ginger powder) powder in a pan, heat it and inhale the fumes through your nose.
  • If you have joint pain because the coldness of the rains then apply Dry Sunth Powder(Dry Ginger powder) to all your joints which are painting at bedtime.

So isn’t Sunth i.e. Dry ginger a wonder for rainy season.

So hope you like this tip and do keep connected with us on Treasures of Ayurveda for more home remedies.

Stay Healthy ….Stay Blessed

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