Health Mantra – Aayuttam – Ayurvedic Clinic https://aayuttam.com Fri, 10 May 2024 05:09:07 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://aayuttam.com/wp-content/uploads/2024/04/cropped-favicon-op-32x32.webp Health Mantra – Aayuttam – Ayurvedic Clinic https://aayuttam.com 32 32 Why Does Ganapatiji Eat Modak and Not Chakali, Chiwda ? (Health Mantra – 09) Blog -47 https://aayuttam.com/blog/why-does-ganapatiji-eat-modak-and-not-chakali-chiwda-health-mantra-09-blog-47/ Fri, 10 May 2024 05:09:07 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3689 Have you ever wondered why Ganapatiji eat only modak and not chakali chiwda ?

The question is very interesting so is the answer.

Ganapati festival comes before October heat. And as we have learnt in last blog – The science behind festivals i.e. festivals advice us what changes to do in diet and routine according season change to remain healthy.

Ganapati festival marks the season change from rainy season to summer season. In summer season if we eat fried food like chakali, chiwda then it leads to increasing thurst as well as Pittah in the body.

According to ayurveda, october is Pittah Prakop Kaal i.e. it increases lot of Pittah in the body and leads to Pittah diseases like headache, migraine, fissure, piles, acidity etc.

Ganapati festival advices us what diet changes to do in October to remain healthy.

These are have food which have Pittah Shamak properties that is eat “White, Watery, Sweet, Coconut and boiled food. “

All these qualities are there in Modak. So we offer modak to Ganapatiji as Prasad. Thus Modak symbolically tell us what diet changes to be made in October to remain healthy.

  • White – White means to eat food which in white in colour like milk, milk product like butter milk, curd, paneer, cheese, butter, rice.
  • Watery means juices, sharbats.
  • Sweet means all kind of sweets.
  • Coconut means coconut milk, coconut water, grated coconut, coconut curry.
  • Boiled food.

All these food are Pittah Shamak i.e. they balance Pittah in body and thus keep us healthy in October.

So now you know why ganpatiji eats Modak.

So follow Health Mantra advised by Ganapatiji to remain healthy in October that is

Eat White, Watery, Sweet, Coconut & boiled food.

In our coming blog we will learn various home remedies for October diseases like fissure, piles etc.

So stay tune with us every Monday for new blog and follow the health mantra told by Ganapatiji in October. So till next Monday.

Stay Healthy, Stay Blessed.

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गणपतीजी मोदक ही क्यों खाते है ? चकली, चिवडा क्यों नही खाते ? (आरोग्य मंत्र – ०९) Blog – 45 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%97%e0%a4%a3%e0%a4%aa%e0%a4%a4%e0%a5%80%e0%a4%9c%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a5%8b%e0%a4%a6%e0%a4%95-%e0%a4%b9%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%96%e0%a4%be%e0%a4%a4/ Fri, 26 Apr 2024 04:36:37 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3653 आपने कभी सोचा गणपती जी मोदक ही क्यों खाते है ? चकली चिवडा क्यों नही खाते ?

सवाल जितना दिलजस्प है, जवाब भी उतना ही दिलजस्प है।

गणपती अक्टूबर की गर्मी के पहले आते है। और जैसे हमने पिछले ब्लॉग मे जाना ।

त्यौहार हमे ऋतु के नुसार आहार-विहार में क्या बदलाव करने चाहिए यह सिखाते है।

गणपती के बाद अक्टूबर की गर्मी आती है। गर्मी मे हम अगर बेसन की तली हुए चीजे जैसे चकली, चिवडा खाए तो प्यास और शरीर मे पित्त बढता है।

आयुर्वेद के नुसार अक्टूबर पित्त प्रकोप का काल है । इसलिए अक्टूबर मे पित्त बढाने वाली चीजे खाने से हमे सिरदर्द, पाइल्स, फिशर (बवासीर), पेट खराब होना, एसिडिटी ऐसी बिमारिया होती है। इसलिए अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए क्या खाना चाहिए यह बताने के लिए गणपती का त्यौहार आता है।

गर्मी मे पित्त कम करने वाली चिजे खानी चाहिए । जैसे सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुए पदार्थ।

यह सब गुण तो मोदक मे है।

इसलिए गणपती को हम मोदक प्रसाद मे चढाते है। क्योंकि मोदक हमे प्रतिकात्मक समझाते है की अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए यह गुणवाले पदार्थ खाने चाहिए।

  • सफेद पदार्थ याने दूध, दही, छाछ, पनीर, चावल,
  • मीठे पदार्थ याने विविध पकवान्न,
  • पानीयुक्त याने अलग अलग तरह के शरबत, ज्यूस,
  • नारियल युक्त पदार्थ याने नारियल का दूध,नारियल का पानी, नारियल की करी और
  • उबाली हुई चीजों का हमे सेवन करना चाहिए।

आज आपने जाना की गणपती जी मोदक क्यों खाते है।

गणपती जी ने बताया हुआ आरोग्य मंत्र है।

अक्टूबर मे निरोगी रहने के लिए सफेद, मीठे, पानीयुक्त, नारियल युक्त और उबाले हुई पदार्थ खाने चाहिए।

कैसे लगा हमारा ब्लॉग कमेंट करके जरूर बताए।

अगले सोमवार नए ब्लॉग के साथ मिलते है। तब तक अक्टूबर का आरोग्य मंत्र जरूर अपनाए।

Stay Healthy Stay Blessed

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WHAT IS IMMUNITY BOOSTER ? (HEALTH MANTRA – 08) BLOG – 41 https://aayuttam.com/blog/what-is-immunity-booster-health-mantra-08-blog-41/ Fri, 29 Mar 2024 05:03:09 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3488 Have you wondered. What is real IMMUNUTY ?

IMMUNITY is anything which prevent diseases. like exercise, healthy food, healthy routine.  

In Ayurveda all this is called Dincharya.

“Din means Day and charya means lifestyle. ie ideal lifestyle.”

But even after following ideal lifestyle we fall sick with change in season. Why?

Because we don’t change our routine and diet with change in season. In ayurveda changes in diet and routine are describe in detail under the heading “Hritucharya.”

“Hritu means Season and Charya means lifestyle.”

When is the cold outside we wear woolen clothes. But what about other diet and routine changes we don’t make changes in diet and routine according to season so fall sick.

So if by following Hritucharya we can prevent diseases. So is today’s terminology we can say Hritucharya is IMMUNITY BOOSTER.

So IMMUNITY BOOSTER is not a churn or powder or tablet. But IMMUNITY BOOSTER is complete change in diet and routine according to season. Isn’t it fascinating

So of course immunity booster would be different for each season.

In Ayurveda six Hrituchrya are describe to six seasons.

We will be disscussing it in a coming videos.

So today’s Health Mantra – 08

“Following Hritucharya is the real IMMUNITY BOOSTER”.

So in our next video will discuss about “Immunity booster for October Heat”

Stay healthy, Stay Blessed.

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इम्युनिटी बूस्टर क्या है ? (आरोग्य मंत्र – ०८) BLOG – 40 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%87%e0%a4%ae%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%bf%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%ac%e0%a5%82%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%b0-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88/ Sat, 23 Mar 2024 04:30:38 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3441 इम्युनिटी बूस्टर…… इम्युनिटी बूस्टर….. है क्या ये चीज ?

इम्युनिटी मतलब प्रतिकार शक्ति |

मतलब हर चीज जो हमे निरोगी रखती है | जैसे कसरत, पौष्टिक अन्न,अच्छी दिनचर्या | लेकीन ऐसे आदर्श दिनचर्या का पालन करने पर भी ऋतु मे बदलाव होने पर हम बीमार पडते है | ऐसा क्यू ?

क्यू की ऋतु के बदलाव के नुसार हम अपने आहार और विहार मे बदल नहीं करते |

आयुर्वेद मे ऋतु के नुसार आहार और विहार बदल बताये गए है| उसको कहते है ऋतुचर्या |

हम ठंडी मे गरम कपडे पहेनते है | पर बाकी आहार विहार मे बदलाव नही करते इसलिए बीमार पडते है |

पर अगर हमने ऋतुचर्या का पालन किया तो हम निरोगी रहेंगे |

“ऋतुचर्या” को हम आज की भाषा मे इम्युनिटी बूस्टर कह सकते है |”

तो इम्युनिटी बूस्टर याने कोई चूर्ण या गोली नही |

इम्युनिटी बूस्टर याने ऋतुनुसार आहार विहार मे पूर्ण परिवर्तन करना |

इसलिए हर एक ऋतु के इम्युनिटी बूस्टर अलग रहेंगे | आयुर्वेद मे ०६ ऋतुओ की ०६ ऋतुचर्या बताई है |

इनके बारे मे हम आने वाले विडियो मे आपको जानकारी देंगे |

तो आज का हमारा आरोग्य मंत्र – ०८ है |

ऋतुचर्या ही इम्युनिटी बूस्टर याने प्रतिकार शक्ति बढाता है |

अगले विडियो मे हम जानते है की शरद ऋतु का आरोग्य मंत्र क्या है ?

तब तक के लिए Stay Healthy, Stay Blessed.

Thank you   

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कृष्ण जन्माष्टमी की कथा से हमे मिलती है यह सिख | (आरोग्य मंत्र – ०७) blog – 39 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%95%e0%a5%83%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%a3-%e0%a4%9c%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-%e0%a4%b8/ Fri, 15 Mar 2024 10:48:24 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3403 क्या आपको कहानियां पसंद है? सबको कहानियां पसंद है क्यूंकि कहानियो से हमे सीख मिलती है , कहानियां हमे प्रोत्साहन देती है |

हमारे ग्रंथों में जो कथा होती  हैं उनके पीछे कुछ सीख जरूर होती है जैसे महाभारत की हर एक घटना , हर एक पात्र हमें जिंदगी के

अलग-अलग पहलू के बारे में सीख देते हैं|

तो चलो जानने की कोशिश करते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी कथा के पीछे क्या सीख होगी?

कृष्ण याने “ब्रह्म ,परमात्मा” और कृष्ण जन्म याने इस “परमात्मा का साक्षात्कार याने दर्शन

पर कैसे?

चलो इस कथा को एक आध्यात्मिक दृष्टिकोन से जानने की कोशिश करते हैं।

कृष्ण जन्म के कथा की शुरुवात मे एक कारावास मे अंधेरे कक्ष में देवकी और नंद बेड़ियों में जकड़े होते हैं |

तो इससे अंधारमय कक्ष याने अज्ञानरूपी अंधकार और बेड़ियां याने विविध वासनाए जैसे काम, क्रोध, मत्सर, लोभ, अहंकार यह मानी जा सकती हैं।

इसका मतलब हम इस अज्ञानरूपी अंधकारमय संसार के कारावास में विभिन्न वासनाओं से बंधे हैं |

कथा में इसके बाद देवकी और नंद के निरंतर परिश्रम से ८ पुत्र प्राप्ति और फिर उनकी मृत्यु होती है | इससे ये प्रतीत होता है कि अगर हमे इस अज्ञानरूपी कारावास और वासनारूपी बेड़ियो से मुक्त होना है तो हमें निरंतर प्रयत्न से ८ पुत्र याने अष्टांग योग– यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा, समाधि से इन वासनाओं की मृत्यु करनी चाहिए।  

कथा में फिर कृष्ण जी का जन्म होते ही बेड़ीया दूर हो जाती हैं और कारावास का दरवाजा खुल जाता है|

तो कृष्ण जन्म से आत्म साक्षात्कार बताया है।

याने अष्टांग योग से जब हमे आत्म साक्षात्कार होता है तब यह वासना रूपी बेड़िया और अज्ञानमय कारावास का दरवाजा खुल जाता है और जग के माया जाल से मुक्ति मिलती है।

कथा मे फिर कृष्ण जन्म के बाद उनके प्रवास के दौरान जो आंधी ,तूफान बताये है उससे आत्म साक्षात्कार के दौरान जो मन मे संघर्ष होता है वह प्रतीत होता है।

फिर जैसेही कृष्णजी अपने पैर उस नदी में रखते हैं तब सब शांत हो जाता है|

याने आत्म साक्षात्कार होते ही मन के सभी विकल्प, संघर्ष, वासनाए शांत होती हैं।

तो  इस कथा से हमें सीख मिलती है कि “आत्म साक्षात्कार का प्रवास अत्यंत कठिन और परिश्रम युक्त होता है। पर फल से परमानंद प्राप्त होता है।”

पिछले चातुर्मास के ब्लॉग में हमने जाना कि चातुर्मास में कृष्ण जी योग निद्रा में जाते हैं याने हमें आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करते हैं और अब यह कृष्ण जन्म कथा हमें आत्म चिंतन को प्रोत्साहित करती है।  

तो आज का हमारा आरोग्य मंत्र नंबर – ७ है |

“चातुर्मास से आत्मचिंतन शुरू कीजिये ताकि आपको अपने अंदर के कृष्ण के जन्म के दर्शन हो सके यानी आत्म साक्षात्कार हो सके।

अगले ब्लॉग में हम हरतालिका के बारे में जानेंगे |

तब तक स्टे हेल्थी, स्टे ब्लेस्ड |

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नारली पौर्णिमा से नारियल खाओ और निरोगी रहो|(आरोग्य मंत्र – 0६) Blog- 38 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%8c%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a5%87-%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%b2/ Fri, 08 Mar 2024 10:27:29 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3364 पिछले आरोग्य मंत्र वीडियोज मे हमने जाना कि निरोगी रहने के लिए हमारी प्रतिकार शक्ती अच्छी होनी चाहिए | और प्रतिकार शक्ती अच्छी रहने के लिए हमे ऋतु के नुसार हमारे आहार विहार मे बदलाव करने चाहिए |

आहार विहार मे क्या बदलाव करने चाहिए ये हमे त्यौहार सिखाते है |

कैसे ?

ये हमने आरोग्य मंत्र वीडियो नंबर – ०५ मे आपको बताया है |इस विडियो की लिंक ब्लॉग के नीचे दी है।

त्यौहार के नुसार आहार विहार मे बदलाव करने से हम निरोगी रहते है | लेकिन ये बदलाव सिर्फ उस त्यौहार के दिन अपनाने नही चाहिए, बल्कि उस त्यौहार से लेकर अगले त्यौहार तक ये  बदलाव हमे अपनाने चाहिए |

तो आज का हमारा विषय है |

नारली पौर्णिमा से नारियल खाओ और निरोगी रहो”.

कैसे ?

ये जानने के लिए हमे नारली पौर्णिमा के पीछे का शास्त्र पता होना चाहिए |

नारली पौर्णिमा कब आती है ?

नारली पौर्णिमा श्रावण के पौर्णिमा को याने जब वर्षा ऋतु धीरे धीरे कम हो रही हो और शरद ऋतु याने ऑक्टोबर हीट शुरू हो रही हो तब आती है |

इस ऋतु मे हमे आहार विहार मे क्या बदलाव करने चाहिए ?

वर्षा ऋतु मे जो आहार विहार बताए गए है जैसे गरम, तीखा, तला ये सब धीरे धीरे कम करने चाहिए और शरद ऋतु मे जो आहार विहार बताए है वह शुरू करने चाहिए |

तो शरद ऋतु मे क्या आहार विहार बताए है ?

यही नारली पौर्णिमा मे बताया है |

नारली पौर्णिमा मे बताया है कि शक्कर, चावल और नारियल खाना चाहिए |

क्यु ?

आयुर्वेद नुसार शरद ऋतु मे पित्तप्रकोप काल होता है |याने इस ऋतु मे पित्त बहुत ज्यादा बढता है और हमे पित्त कि सारी बीमारियाँ जैसे माइग्रेन, एसिडिटि, सिरदर्द आदि होने लगती है |

हर त्यौहार मे जो पदार्थ खाने को कहे जाते है वह प्रतिकात्मक होते है (याने इस तरह खाओ) जैसे नारियल प्रतिकात्मक है| नारियल याने सफ़ेद, मीठे, पानीयुक्त पदार्थ हमे खाने चाहिए |

इन प्रतिकात्मक पदार्थों को जरा विस्तार से जानते है ।

  • सफ़ेद पदार्थ – सफ़ेद रंग पित्त शामक याने पित्त कम करने वाला होता है | इसलिए सफ़ेद पदार्थ जैसे दूध, दूध के पदार्थ, चावल ज्यादा खाना शुरू करना चाहिए |
  • पानीयुक्त पदार्थ –ऑक्टोबर मे गर्मी के बजह से शरीर मे पानी का अंश बहुत कम हो जाता है इसलिए धीरे धीरे पानीयुक्त चीजे जैसे नारियल पानी, शर्बत, छाछ इनका सेवन हमे करना चाहिए |
  • मीठे पदार्थ – मीठे पदार्थ वात और पित्त दोनों को कम करते है इसलिए इनका सेवन शुरू करना चाहिए जैसे शक्कर ,गुड ,मीठे पक्वान्न आदि और नैसर्गिक मीठे पदार्थ याने फल | फल मीठे, खट्टे और पानीयुक्त होते है इसलिए वात और पित्त दोनों को कम करते है |

तो आज का हमारा आरोग्य मंत्र – 0६ है –

वर्षा ऋतु का तीखा, गरम, तला खाना धीरे-धीरे कम करो और शरद ऋतु का मीठा,सफ़ेद, पानीयुक्त अन्न खाना धीरे-धीरे शुरू करो |”

नारियल मे ये सभी गुण है – सफेद, मीठा, पानीयुक्त और फल भी है |

इसलिए नारली पौर्णिमा से बताया है नारियल खाओ और निरोगी रहो |

तो इस ऋतु से हर रोज अपने खाने मे हमे नारियल का सेवन अलग अलग तरह से जरूर करना चाहिए जिससे हम निरोगी रहे ।

अगले त्यौहार तक इस आरोग्य मंत्र को follow कीजिये  और हमे follow कीजिये जानने के लिए कि कृष्ण जन्माष्टमी के पीछे का आरोग्य मंत्र क्या है ?

Stay Healthy Stay Blessed  .

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Moral behind Krishna-Janmashtami story ( Health Mantra- 07) Blog -37 https://aayuttam.com/blog/moral-behind-krishna-janmashtami-story-health-mantra-07-blog-38/ Fri, 01 Mar 2024 04:47:17 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3322 Do you love stories?

Everyone loves stories as stories have moral and they motivate us as well teach us varies lessons about life.

Every story in Vedas has moral behind it for example Mahabharata. Every aspect, every character of Mahabharat teaches us various lessons about each walk of life.

So let us enquiry into what can be the moral behind “Krishna Janmashtami story” ?

Krishna represents “Atma/ Brahma” and

Krishna Janm i.e. birth of Krishna symbolises with Self-realization.

How?

Let us try to understand the philosophical perspective behind Krishna Janmashtami.

In the story, Devki and Nand are described as caged into darkness tied in chains.

Here cage/ prison symbolises “Ignorance” and chains as bondages of lust ,greed ,desires and especially Ego. Means we are caged in this ignorant world with bondages of desires, ego and ignorance.

Later in the story ,Devki and Nand after going through alot of hardship and struggle give birth to 8 children who eventually die.

This hardship of eight children symbolises with “Ashtang Yog” i.e. to come out of the chains and prison of the world we must follow the hardship path of “Ashtang Yog” i.e. Yam, Niyam, Asan ,Pranayam ,Pratyahar, Dhyan, Dharana and Samadhi.

Then in the story Krishna is born and the chains fall off and prison door opens.

This symbolises that after Krishna birth i.e. after self-realization the bondages of five senses fall off and internal door opens to free us from ignorant external world.

Later in the story when Krishna travels out of prison…… the night is full of rains and thunderstorm.

This signifies that during process of self realisation there is a lot of turbulence of thoughts, emotions and desires in the mind.

But when Krishna steps foot in turbulent water everything settles down this shows that after self-realization the mind becomes calm and quiet.

So the moral of the story is- “The path to self realisation it’s full of hardship but the end fruit is complete BLISS”.

In our previous Health Mantra we discuss that from chaturmas Lord Krishna goes in YOG NIDRA which symbolically initiates us to start meditating and then Krishna Janm ( Birth of Krishna) in chaturmas motivate us to continue our meditation.

So our Health Mantra number- 06 is

“Start meditating from chaturmas so that you experience the birth of Lord Krishna inside you i.e. you experience self realisation.”

In our next blog we will discuss about Hartalika.

Till then ……Stay Healthy Stay Blessed.

Thank you.

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Narali Pournima – Start eating Coconut to remain healthy (Health Mantra -06) Blog -36 https://aayuttam.com/blog/narali-pournima-start-eating-coconut-to-remain-healthy-health-mantra-06-blog-36/ Fri, 23 Feb 2024 06:33:07 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3288 In our past videos we learnt that if our Immunity is good we remain healthy .And to keep immunity good we must change lifestyle according to season change .

What seasonal changes should be made in diet and routine are told by Festivals.

How ?

That is discussed in our last Health mantra no – 05 video . The link of that video is given at the end of this blog.

So if we follow lifestyle changes told by festivals then we remain healthy. But those changes should not be followed only during that festival. But lifestyle changes should be imbibed from that festival till next festival.

So our todays topic is “From Naarali Pournima start eating coconut and remain healthy.

How ?

Well to understand this, we must inquire into the Science behind Narali Pournima.

When does Naarali Pournima come ?

On Pournima of Shravan, when rainy season is about to end and october heat is going to start.

So what changes we should do in lifestyle ?

We should slowly stop Varsha/rainy lifestyle of hot, spicy and fried food and change to Sharad Hritu /October heat lifestyle.

So what is Sharad Hritu /October heat lifestyle?

That is told on festival Naarali pournima.

On Naarali Pournima we are advised to eat sugar, rice and coconut.

Things advised on festivals symbolically tells us what changes to do.

Like COCONUT symbolically tells us to eat White, Sweet and things with lot of water in it as these reduces Pittah as well Vaat.

Let’s understand these symbolical language in a bit detail.

  • White  Things –  White  color is coolant. So white things reduce Pittah in the body. Therefore start consuming white things like rice, milk, milk products, coconut etc.
  • Sweet things – Sweet things decrease Vaat as well Pittah in the body. So slowly increase eating sweet foods like sugar, jaggery etc and natural sweet like Fruits. Fruits are sweet, sour as well contain water so it reduces Vaat as well Pittah .
  • Things with more water content – like butter milk, fruits, Juices, sharbat, coconut water etc as October heat is going to disturb your water balance in body.

So our Health Mantra – 06 is

“ Stop eating Rainy diet ie spicy, hot, fried and slowly start eating Summer diet ie White, Watery and Sweet.”

Coconut has all above properties. It is fruit, sweet, watery and white. So it balances Vaat as well Pittah and keeps you healthy .

So from Naarali Pournima start eating coconut everyday in diet in varied forms to remain healthy.

So start following Festival Lifestyle to remain healthy and start following us to know new Health Mantra.

Our next Health Mantra will be science behind Janmashtmi.

So till next week.

Stay Healthy, Stay Blessed .      

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NAGPANCHAMI TEACHES US HEALTH MANTRA ( health mantra -05 )BLOG NO-35 https://aayuttam.com/blog/nagpanchami-teaches-us-health-mantra-health-mantra-05-blog-no-35/ Fri, 16 Feb 2024 09:48:25 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3268 Have you ever wondered if there is any role of festivals in keeping us healthy?

Like today is Nagpanchami ……so is there any SCIENCE behind diet and routine advised on Nagpanchami.

Changes in season brings about changes in our body too but we don’t make changes in diet and routine according to change in season so we fall sick.

So how will we know what changes to make in diet and routine to remain Healthy even during season change?

Therefore our ‘Hrishis’ kept festivals during season change, and they advised what diet and routine to be followed during season change as diet and routine of that Festival.

Surprised…..to know …..that there science in our culture and festivals too?

So let’s understand What diet and routine is advised on Nagpanchami?

1. Upvaas – as rainy season is still going on.

2.Don’t Cut and Fry.

3. Milk – Pittah Shamak – Kheer, halwa

Upvaas – Our digestion is governed by sun’s clock.In rainy days as sun is covered with clouds most time of day so our digestive power (agni) is weak. If we eat heavy to digest food then we tend to fall sick.So UPAVAAS is advised.

Do do not CUT and FRY– According to Ayurveda September and October is Pittah prakop Kaal means Pittah is  going to increases alot in these month. So as a prevention we are advised to slowly stop eating fried food advised in rainy season.

Milk – Milk we offer to Nagdevta which Symbolically initiates us to start consuming white things as white colour is pittah shamak ie it reduces pittah.

So all things advised on Nagpanchmi are Preventive measures againts october heat .

So our Health Mantra – 05 is

“Start eating white things, do upvaas and reduce eating fried food.”

The diet advised on one festival is not only for that day but that diet and routine should be followed from that festival till next festival.
So follow changes advised on festivals and remain HEALTHY

Stay Healthy Stay Blessed

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नागपंचमी हमे सिखाती है निरोगी रहने के उपाय | (आरोग्य मंत्र – ०५)Blog no- 34 https://aayuttam.com/blog/%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%aa%e0%a4%82%e0%a4%9a%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b9%e0%a4%ae%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%96%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%80-%e0%a4%b9%e0%a5%88-%e0%a4%a8%e0%a4%bf/ Fri, 09 Feb 2024 10:30:22 +0000 https://aarogyamayurvedicclinic.com/?p=3240 कभी आपने सोचा है की त्यौहारो का हमे निरोगी रखने मे कोई महत्व है क्या ?

जैसे आज नागपंचमी है | नागपंचमी मे बताए गए आहार विहार का कुछ प्रयोचन है क्या ?

ऋतु मे जो बदलाव होते है उस नुसार हमारे शरीर मे भी बदलाव होते है, पर ऋतु के नुसार हम हमारे आहार विहार मे बदलाव नही करते इसलिए हम बीमार पड़ते है |

इसलिए हमारे ऋषियो ने ऋतु के बदलाव के समय त्यौहार बिठाये और ऋतु मे जो बदलाव हमे आहार विहार मे करने चाहिए वो उन त्यौहारो के अनुसार हमे बताए है |

जैसे अभी वर्षा ऋतु चल रहा है | वर्षा ऋतु के आहार विहार की जानकारी हमने बारिश के मौसम मे प्रतिकर शक्ती बढाने के उपाय विडियो मे पहले भी बताई है और विडियो की लिंक नीचे दी है |

तो वर्षा ऋतु मे हमने जाना की खट्टी चिजे जैसे दहि, छाछ, पनीर, fermented और बेकरी पदार्थ नही खाने चाहिए | वर्षा ऋतु में वात बढता है इसलिए तली हुई चीजे खानी चाहिए और पचन शक्ती कम होती इसलिए हल्का अन्न खाना चाहिए |

वर्षा ऋतु मे अभी श्रावण महिना आ गया | श्रावण मे वर्षा ऋतु मे थोडे बदलाव हुये है, याने बारिश कम हो रही है और धीरे धीरे धूप बढ़ रही है मतलब वात कम हो रहा है और धीरे धीरे पित्त का संचय चालू हो गया है | इसलिए आज नागपंचमी का त्यौहार आ गया |

जानते है नागपंचमी मे हमे क्या आहार विहार बदलाव बताए गए है –

  1. उपवास – आयुर्वेद नुसार हमारी पचनशक्ति सूरज की शक्ति से नियंत्रित होती है. बारिश में सूरज बादलो से ढका होता है इसलिए हमारी पचनशक्ति भी मंद होती है| ऐसे में हमने अगर पचन करने में भारी पदार्थ खाए तो हम बीमार पड़ेंगे इसलिए अभी ज्यादा उपवास करने चाहिए याने हल्का अन्न और मात्रा में कम अन्न खाना चाहिए |
  2. तलो मत काटो मत –आयुर्वेद नुसार सितम्बर और अक्टूबर यह पित्तप्रकोप काल है याने इस काल में पित्त बहुत बढ़ता है | तली हुई चीज़े पित्त और बढाती है | वर्षा ऋतु मे हम तली हुई चीजे खाते है, पर अभी पित्त बढने वाला है, इसलिए तली हुई चीजे खाना धीरे धीरे कम करना चाहिए |
  3. दूध – आज के दिन हम नाग देवता को दूध देते है | ये प्रतिक है की आज से हमने सफ़ेद चीजे ज्यादा खानी चाहिए| क्युकी आगे पित्त प्रकोप का काल आ रहा है | सफ़ेद चीजे पित्त शामक होती है |इसलिए दूध, दूध के पदार्थ , चावल ऐसी चीजे खाना शुरुवात करनी चाहिए|

नाग पंचमी में बताए सारे आहार विहार के बदलाव हमे आगे आने वाले पित्त प्रकोप से बचाने के लिए है| इसलिए हमने धीरे धीरे यह बदलाव करना शुरू किया तो हम अगले रुतु में निरोगी रहेंगे |

तो अभी आपने जाना की त्यौहार हमे निरोगी रहेने के उपाय बताने के लिए बनाये गए है |

त्यौहार होते है हमारे स्वास्थरक्षण के मार्गदर्शक |

इसलिए एक त्यौहार मे बताए गए आहार विहार के बदल हमे अगला त्यौहार आने तक रखने चाहिए |

इसलिए अभी नागपंचमी मे जो हमे बताए नियम वो हमे अगले त्यौहार आने तक करने चाहिए तो आप निरोगी रहोगे |

आज का आरोग्य मंत्र है –

” सफ़ेद चिजे खाना शुरू करो, उपवास करो और तली हुई चीजे खाना धीरे धीरे कम करो |”

ऐसे हर त्यौहार में बताये आहार विहार बदल को अपनाओ और निरोगी रहो |

Stay Healthy, Stay Blessed.

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