घरेलु नुस्को मे हम निरोगी रहेने के अलग अलग नुस्को की जानकारी देते है |
पिछ्ले नुस्का नं ६ मे हमने जाना की “चातुर्मास मे उपवास करने से हम निरोगी राते है “
इसलिए साल के सारे उपवास इन चार महीनों मे आ जाते जैसे – आषाढ़ी एकादशी,अंगारिका चतुर्थी , श्रावण सोमवारआदि |
पर अगर हमे उपवास करने का सही तरीका पता नही हो तो उपवास करके हम निरोगी होने की जगह ज्यादा बीमार पड़ते है ?
तो आज का शुक्रवार घरेलू नुस्का नं ७ है
“उपवास कैसे करना चाहिए ?”
पहले जानते है “उपवास का मतलब क्या है ?”
उप याने – अंदर….वास याने – रहना
उपवास याने अपने “अंदर वास करो “
याने अपने अंदर जो शक्ति /आत्मा /भगवान उसके अंदर आत्मचिंतन करो |
इसलिए ऐसे माना जाता है, भगवान विष्णुजी इन चार महिने योगनिद्रा मे चले जाते है |
इससे शास्त्र को सूचित करना है कि इन चार महीनो मे आप भी आत्मचिंतन करो |
पुराने जमानो मे बारिश के मौसम मे बाहर के काम ज्यादा नहीं होते थे |
तो घर मे बैठकर ज्यादा आत्मचिंतन करो | परघर मे बैठकर लोगो ने भारी ज्यादा अन्न खालिया तो लोग बीमार पड़ेंगे और भारी अन्न खाया तो नींद ,आलस आता है ,आत्मचिंतन नही होता |
इसलिए शास्त्र ने धर्म के नुसार बताया है की उपवास करो |
तो अच्छे से आत्मचिंतन होने लगेगा |
तो उपवास का सही उददेश है मन की शांती या आत्मचिंतन |
पर ऐसा उपवास तो हम नही करते ——–हम भीड़ मे जल्दी जल्दी मे मंदिर जाकर दर्शन करके आ जाते है —– ना मंदिर मे आत्मचिंतन करते है न घर मे नामस्मरण ——-सही मायने मे “मन शांती”के लिए उपवास करना चाहिए ?
उपवास के दिन ज्यादा से ज्यादा आत्मचिंतन मे बिताना चाहिए इससे मन शांत और निरोगी होता है शरीर भी शांत और निरोगी रहता है ?
तो अगले विडिओ मे हम जानेंगे शरीर निरोगी रखने के लिए उपवास कैसे करना चाहिए ?
तब तक के लिए —— उपवास करो और निरोगी रहो |