पिछले आरोग्य मंत्र वीडियोज मे हमने जाना कि निरोगी रहने के लिए हमारी प्रतिकार शक्ती अच्छी होनी चाहिए | और प्रतिकार शक्ती अच्छी रहने के लिए हमे ऋतु के नुसार हमारे आहार विहार मे बदलाव करने चाहिए |
आहार विहार मे क्या बदलाव करने चाहिए ये हमे त्यौहार सिखाते है |
कैसे ?
ये हमने आरोग्य मंत्र वीडियो नंबर – ०५ मे आपको बताया है |इस विडियो की लिंक ब्लॉग के नीचे दी है।
त्यौहार के नुसार आहार विहार मे बदलाव करने से हम निरोगी रहते है | लेकिन ये बदलाव सिर्फ उस त्यौहार के दिन अपनाने नही चाहिए, बल्कि उस त्यौहार से लेकर अगले त्यौहार तक ये बदलाव हमे अपनाने चाहिए |
तो आज का हमारा विषय है |
“नारली पौर्णिमा से नारियल खाओ और निरोगी रहो”.
कैसे ?
ये जानने के लिए हमे नारली पौर्णिमा के पीछे का शास्त्र पता होना चाहिए |
नारली पौर्णिमा कब आती है ?
नारली पौर्णिमा श्रावण के पौर्णिमा को याने जब वर्षा ऋतु धीरे धीरे कम हो रही हो और शरद ऋतु याने ऑक्टोबर हीट शुरू हो रही हो तब आती है |
इस ऋतु मे हमे आहार विहार मे क्या बदलाव करने चाहिए ?
वर्षा ऋतु मे जो आहार विहार बताए गए है जैसे गरम, तीखा, तला ये सब धीरे धीरे कम करने चाहिए और शरद ऋतु मे जो आहार विहार बताए है वह शुरू करने चाहिए |
तो शरद ऋतु मे क्या आहार विहार बताए है ?
यही नारली पौर्णिमा मे बताया है |
नारली पौर्णिमा मे बताया है कि शक्कर, चावल और नारियल खाना चाहिए |
क्यु ?
आयुर्वेद नुसार शरद ऋतु मे पित्तप्रकोप काल होता है |याने इस ऋतु मे पित्त बहुत ज्यादा बढता है और हमे पित्त कि सारी बीमारियाँ जैसे माइग्रेन, एसिडिटि, सिरदर्द आदि होने लगती है |
हर त्यौहार मे जो पदार्थ खाने को कहे जाते है वह प्रतिकात्मक होते है (याने इस तरह खाओ) जैसे नारियल प्रतिकात्मक है| नारियल याने सफ़ेद, मीठे, पानीयुक्त पदार्थ हमे खाने चाहिए |
इन प्रतिकात्मक पदार्थों को जरा विस्तार से जानते है ।
- सफ़ेद पदार्थ – सफ़ेद रंग पित्त शामक याने पित्त कम करने वाला होता है | इसलिए सफ़ेद पदार्थ जैसे दूध, दूध के पदार्थ, चावल ज्यादा खाना शुरू करना चाहिए |
- पानीयुक्त पदार्थ –ऑक्टोबर मे गर्मी के बजह से शरीर मे पानी का अंश बहुत कम हो जाता है इसलिए धीरे धीरे पानीयुक्त चीजे जैसे नारियल पानी, शर्बत, छाछ इनका सेवन हमे करना चाहिए |
- मीठे पदार्थ – मीठे पदार्थ वात और पित्त दोनों को कम करते है इसलिए इनका सेवन शुरू करना चाहिए जैसे शक्कर ,गुड ,मीठे पक्वान्न आदि और नैसर्गिक मीठे पदार्थ याने फल | फल मीठे, खट्टे और पानीयुक्त होते है इसलिए वात और पित्त दोनों को कम करते है |
तो आज का हमारा आरोग्य मंत्र – 0६ है –
“वर्षा ऋतु का तीखा, गरम, तला खाना धीरे-धीरे कम करो और शरद ऋतु का मीठा,सफ़ेद, पानीयुक्त अन्न खाना धीरे-धीरे शुरू करो |”
नारियल मे ये सभी गुण है – सफेद, मीठा, पानीयुक्त और फल भी है |
इसलिए नारली पौर्णिमा से बताया है नारियल खाओ और निरोगी रहो |
तो इस ऋतु से हर रोज अपने खाने मे हमे नारियल का सेवन अलग अलग तरह से जरूर करना चाहिए जिससे हम निरोगी रहे ।
अगले त्यौहार तक इस आरोग्य मंत्र को follow कीजिये और हमे follow कीजिये जानने के लिए कि कृष्ण जन्माष्टमी के पीछे का आरोग्य मंत्र क्या है ?
Stay Healthy Stay Blessed .