Prajanan प्रजनन -हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड के लिए पंचकर्म

Dr. Mansi Kirpekar

Dr. Mansi Kirpekar,

Ayurveda Consultant

Professional Qualifications:

Holds a degree of Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (B.A.M.S) from Aryangla College, the oldest Ayurvedic medical institution in India, located in Satara, Maharashtra.

Earned a Master of Arts in Sanskrit from Tilak Vidyapeeth in Poona.

Certified in Panchakarma Chikitsa by AYUSH.

Specializes in Panchabhautik Chikitsa, a distinct branch of Ayurveda.

Holds a certificate in Yoga from Yog Vidya Niketan, Santacruz.

Actively involved in the Panchabhautik Ayurveda Forum, participating as a delegate, organizing member, and speaker at numerous national and international conferences.

कभी आपने सोचा है की त्यौहारो का हमे निरोगी रखने मे कोई महत्व है क्या ?

जैसे आज नागपंचमी है | नागपंचमी मे बताए गए आहार विहार का कुछ प्रयोचन है क्या ?

ऋतु मे जो बदलाव होते है उस नुसार हमारे शरीर मे भी बदलाव होते है, पर ऋतु के नुसार हम हमारे आहार विहार मे बदलाव नही करते इसलिए हम बीमार पड़ते है |

इसलिए हमारे ऋषियो ने ऋतु के बदलाव के समय त्यौहार बिठाये और ऋतु मे जो बदलाव हमे आहार विहार मे करने चाहिए वो उन त्यौहारो के अनुसार हमे बताए है |

जैसे अभी वर्षा ऋतु चल रहा है | वर्षा ऋतु के आहार विहार की जानकारी हमने बारिश के मौसम मे प्रतिकर शक्ती बढाने के उपाय विडियो मे पहले भी बताई है और विडियो की लिंक नीचे दी है |

तो वर्षा ऋतु मे हमने जाना की खट्टी चिजे जैसे दहि, छाछ, पनीर, fermented और बेकरी पदार्थ नही खाने चाहिए | वर्षा ऋतु में वात बढता है इसलिए तली हुई चीजे खानी चाहिए और पचन शक्ती कम होती इसलिए हल्का अन्न खाना चाहिए |

वर्षा ऋतु मे अभी श्रावण महिना आ गया | श्रावण मे वर्षा ऋतु मे थोडे बदलाव हुये है, याने बारिश कम हो रही है और धीरे धीरे धूप बढ़ रही है मतलब वात कम हो रहा है और धीरे धीरे पित्त का संचय चालू हो गया है | इसलिए आज नागपंचमी का त्यौहार आ गया |

जानते है नागपंचमी मे हमे क्या आहार विहार बदलाव बताए गए है –

  1. उपवास – आयुर्वेद नुसार हमारी पचनशक्ति सूरज की शक्ति से नियंत्रित होती है. बारिश में सूरज बादलो से ढका होता है इसलिए हमारी पचनशक्ति भी मंद होती है| ऐसे में हमने अगर पचन करने में भारी पदार्थ खाए तो हम बीमार पड़ेंगे इसलिए अभी ज्यादा उपवास करने चाहिए याने हल्का अन्न और मात्रा में कम अन्न खाना चाहिए |
  2. तलो मत काटो मत –आयुर्वेद नुसार सितम्बर और अक्टूबर यह पित्तप्रकोप काल है याने इस काल में पित्त बहुत बढ़ता है | तली हुई चीज़े पित्त और बढाती है | वर्षा ऋतु मे हम तली हुई चीजे खाते है, पर अभी पित्त बढने वाला है, इसलिए तली हुई चीजे खाना धीरे धीरे कम करना चाहिए |
  3. दूध – आज के दिन हम नाग देवता को दूध देते है | ये प्रतिक है की आज से हमने सफ़ेद चीजे ज्यादा खानी चाहिए| क्युकी आगे पित्त प्रकोप का काल आ रहा है | सफ़ेद चीजे पित्त शामक होती है |इसलिए दूध, दूध के पदार्थ , चावल ऐसी चीजे खाना शुरुवात करनी चाहिए|

नाग पंचमी में बताए सारे आहार विहार के बदलाव हमे आगे आने वाले पित्त प्रकोप से बचाने के लिए है| इसलिए हमने धीरे धीरे यह बदलाव करना शुरू किया तो हम अगले रुतु में निरोगी रहेंगे |

तो अभी आपने जाना की त्यौहार हमे निरोगी रहेने के उपाय बताने के लिए बनाये गए है |

त्यौहार होते है हमारे स्वास्थरक्षण के मार्गदर्शक |

इसलिए एक त्यौहार मे बताए गए आहार विहार के बदल हमे अगला त्यौहार आने तक रखने चाहिए |

इसलिए अभी नागपंचमी मे जो हमे बताए नियम वो हमे अगले त्यौहार आने तक करने चाहिए तो आप निरोगी रहोगे |

आज का आरोग्य मंत्र है –

” सफ़ेद चिजे खाना शुरू करो, उपवास करो और तली हुई चीजे खाना धीरे धीरे कम करो |”

ऐसे हर त्यौहार में बताये आहार विहार बदल को अपनाओ और निरोगी रहो |

Stay Healthy, Stay Blessed.

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