Prajanan प्रजनन -हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड के लिए पंचकर्म

Dr. Mansi Kirpekar

Dr. Mansi Kirpekar,

Ayurveda Consultant

Professional Qualifications:

Holds a degree of Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (B.A.M.S) from Aryangla College, the oldest Ayurvedic medical institution in India, located in Satara, Maharashtra.

Earned a Master of Arts in Sanskrit from Tilak Vidyapeeth in Poona.

Certified in Panchakarma Chikitsa by AYUSH.

Specializes in Panchabhautik Chikitsa, a distinct branch of Ayurveda.

Holds a certificate in Yoga from Yog Vidya Niketan, Santacruz.

Actively involved in the Panchabhautik Ayurveda Forum, participating as a delegate, organizing member, and speaker at numerous national and international conferences.

क्या आपको कहानियां पसंद है? सबको कहानियां पसंद है क्यूंकि कहानियो से हमे सीख मिलती है , कहानियां हमे प्रोत्साहन देती है |

हमारे ग्रंथों में जो कथा होती  हैं उनके पीछे कुछ सीख जरूर होती है जैसे महाभारत की हर एक घटना , हर एक पात्र हमें जिंदगी के

अलग-अलग पहलू के बारे में सीख देते हैं|

तो चलो जानने की कोशिश करते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी कथा के पीछे क्या सीख होगी?

कृष्ण याने “ब्रह्म ,परमात्मा” और कृष्ण जन्म याने इस “परमात्मा का साक्षात्कार याने दर्शन

पर कैसे?

चलो इस कथा को एक आध्यात्मिक दृष्टिकोन से जानने की कोशिश करते हैं।

कृष्ण जन्म के कथा की शुरुवात मे एक कारावास मे अंधेरे कक्ष में देवकी और नंद बेड़ियों में जकड़े होते हैं |

तो इससे अंधारमय कक्ष याने अज्ञानरूपी अंधकार और बेड़ियां याने विविध वासनाए जैसे काम, क्रोध, मत्सर, लोभ, अहंकार यह मानी जा सकती हैं।

इसका मतलब हम इस अज्ञानरूपी अंधकारमय संसार के कारावास में विभिन्न वासनाओं से बंधे हैं |

कथा में इसके बाद देवकी और नंद के निरंतर परिश्रम से ८ पुत्र प्राप्ति और फिर उनकी मृत्यु होती है | इससे ये प्रतीत होता है कि अगर हमे इस अज्ञानरूपी कारावास और वासनारूपी बेड़ियो से मुक्त होना है तो हमें निरंतर प्रयत्न से ८ पुत्र याने अष्टांग योग– यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा, समाधि से इन वासनाओं की मृत्यु करनी चाहिए।  

कथा में फिर कृष्ण जी का जन्म होते ही बेड़ीया दूर हो जाती हैं और कारावास का दरवाजा खुल जाता है|

तो कृष्ण जन्म से आत्म साक्षात्कार बताया है।

याने अष्टांग योग से जब हमे आत्म साक्षात्कार होता है तब यह वासना रूपी बेड़िया और अज्ञानमय कारावास का दरवाजा खुल जाता है और जग के माया जाल से मुक्ति मिलती है।

कथा मे फिर कृष्ण जन्म के बाद उनके प्रवास के दौरान जो आंधी ,तूफान बताये है उससे आत्म साक्षात्कार के दौरान जो मन मे संघर्ष होता है वह प्रतीत होता है।

फिर जैसेही कृष्णजी अपने पैर उस नदी में रखते हैं तब सब शांत हो जाता है|

याने आत्म साक्षात्कार होते ही मन के सभी विकल्प, संघर्ष, वासनाए शांत होती हैं।

तो  इस कथा से हमें सीख मिलती है कि “आत्म साक्षात्कार का प्रवास अत्यंत कठिन और परिश्रम युक्त होता है। पर फल से परमानंद प्राप्त होता है।”

पिछले चातुर्मास के ब्लॉग में हमने जाना कि चातुर्मास में कृष्ण जी योग निद्रा में जाते हैं याने हमें आत्मचिंतन के लिए प्रेरित करते हैं और अब यह कृष्ण जन्म कथा हमें आत्म चिंतन को प्रोत्साहित करती है।  

तो आज का हमारा आरोग्य मंत्र नंबर – ७ है |

“चातुर्मास से आत्मचिंतन शुरू कीजिये ताकि आपको अपने अंदर के कृष्ण के जन्म के दर्शन हो सके यानी आत्म साक्षात्कार हो सके।

अगले ब्लॉग में हम हरतालिका के बारे में जानेंगे |

तब तक स्टे हेल्थी, स्टे ब्लेस्ड |

Recent Posts

Prajanan प्रजनन -हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड के लिए पंचकर्म

Listen the Story आज का विषय है हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी मदरहूड। हेल्दी प्रेगनेंसी, हेल्दी बेबी , हेल्थी

Read More »

A Gif of Relaxation

Gift your loved ones a therapy package

Your Details
Details of Giftee