पिछले आरोग्य मंत्र ब्लॉग – ०८ मे हमने जाना की “ऋतुचर्या याने ऋतु के नुसार आहार विहार मे बदलाव करने से हमारी प्रतिकार शक्ति अच्छी रहती है|
अभी अक्टूबर की गरमी आ रही है| आयुर्वेद मे इस ऋतु को शरद ऋतु कहते है| शरद ऋतु मे आहार विहार क्या बदलाव करे ये हमे नारली पौर्णिमा मे ही बताए है याने “नारियल खाओ और निरोगी रहो |”
आज का घरेलू नुस्का नंबर – ०६ है
“अक्टूबर का इम्युनिटी बूस्टर है – नारियल- एक सर्वगुण संपन्न फल|”
नारियल को हिंदू संस्कृति मे अनन्यसाधारण महत्व है| इसे श्रीफल कहते है| क्यूकी इसे भगवान को अर्पण करते है और हर एक शुभ कार्य की शुरुवात नारियल से की जाती है| नारियल का धार्मिक और आध्यत्मिक महत्व हम बाद मे जानेंगे|
लेकिन आज २ सितंबर को जागतिक नारियल दिन मनाया जाता है| इस अवसर पर हम नारियल का आरोग्य के दृष्टि से महत्व जरूर जानेंगे |
“निसर्ग पंचमहाभूतो से बना है – पृथ्वी, पानी, तेज, वायु, आकाश|” निसर्ग मे नारियल आकाश मे उत्पन्न होता है इसलिए नारियल का तेल आकाश के याने सफेद रंग का होता है| और जो तेलबीज जमीन मे आते है जैसे तील का तेल,सरसों का तेल वह भूमी के पीत रंग के होते है|
कितना सुन्दर है ना निसर्ग |
नारियल शीत और सफ़ेद रंग का होता है, इसलिए वह पित्त कम करता है| आयुर्वेद नुसार अक्टूबर मे निसर्ग मे गर्मी और शरीर मे पित्त बढ़ता है| इसलिए अक्टूबर का इम्युनिटी बूस्टर है नारियल| तो अब जानते है किस तरह से नारियल का सेवन करने से हम निरोगी रहेंगे|
हमने अभी जाना नारियल आकश मे उत्पन्न होता है| इसलिए इसमे आकाशतत्व की अधिकता होती है| इसलिए वह शरीर के आकाशतत्व वाले अवयवोपे अच्छा काम करता है | कौनसे है यह अवयव ? यह है – सिर, कान और पेट|
१ . सिर –
आपने कभी देखा है नारियल और हमारे सिर मे काफी समानता है |
इसके बाल हमारे बाल, इसका कवच हमारा कवच याने Skull और इसके अंदर जो नारियल है वो हमारे मेंदू के समान है | इसके अंदर जो पानी होता है वो CSF याने सिर मे जो पानी होता है उसके समान होता है | इसलिए नारियल सिर के सब तरह के व्याधि मे बहुत अच्छा काम करता है और इन सब अवयव को पोषण देता है |
इसलिए अब गर्मी से रोज सुबह खाली पेट पका नारियल शक्कर के साथ खाना चाहिए| इससे पित्त संतुलित रहता है और बुद्धि, बाल और मेंदू को पोषण मिलता है| नारियल का तेल बालो के लिए अच्छा है | रोज रात सोते वक्त नारियल के तेल से तलवो को मालिश करनी चाहिए| इससे गर्मी मे होने वाली आखो की जलन कम होती है|
2 . कान –
आयुर्वेद के नुसार कान ये आकाश तत्व का अवयव माना है| इसलिए आकाश के गुण शब्द हमे कान से सुनाई देते है| लेकिन ध्वनि प्रदूषण टी.वी, मोबाइल इनसे कानो मे वात बढता है, और हमे विविध कान की बीमारिया हो सकती है|
इसके लिए आयुर्वेद ने नारियल के तेल से “कर्णपूरन” करने को कहा है |
इससे कानो मे वात संतुलित रहता है और कानो का आरोग्य अच्छा रहता है|
कर्णपूरन याने हफ्ते मे एक दिन कानो मे नारियल के तेल के ४-४ बूंद डालकर १० मिनट लेट जाइए| और १० मिनट के बाद रुई से कानो को अच्छेसे साफ कीजिये| अगर कानो मे तेल रह गया तो फंगस हो सकता है|
आज हमने जाना की नारियल से सिर और कान को कैसे फायदा होता है| अगले ब्लॉग मे हम नारियल पेट के लिए कैसे गुणकारी रहेगा ये जानेंगे|
तब तक नारियल खाओ और निरोगी रहो |
Stay Healthy Stay Blessed.